पारीक जी, प्रतियोगिता के लिए आपकी प्रथम प्रविष्ठी पढी बहुत पसंद आयी.विशेष रूप से अंतिम पंक्तियाँ.कभी कभी मुझे ईर्ष्या होती है इतनी अच्छी कविता लिखनी मुझे क्यों नहीं आती.बधाई.दूसरी रचना नियम के अनुसार कब आ रही है.आपकी दो प्रतिक्रियाएं मेरे लेखों पर एक स्थान पर थीं पर उत्तर मैं पृथक दे रही हूँ.